The Fact About Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana That No One Is Suggesting



इसे repeat करते हुए नया भाव जोड़ें – “मैं सुरक्षित हूं”

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अपने अंदर के डर को कैसे दूर भगाएं

अब आप उसके साथ चले भी गए, अपना काम भी कर आये और सुरक्षित घर वापिस भी आ गए. जैसा आप सोच रहे थे वैसा कुछ नहीं हुआ, वो बस आपके मन का वहम था और आप बिना फालतू के डर रहे थे. तो बताइए डर डर कर जीने से क्या फायदा?

अपने डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप देखें और जानें कि आपको सबसे ज्यादा डर किस सिचुएशन में लगता है। उदाहरण के लिए, यदि आप मकड़ियों से डरते हैं, तो बिना डरे लगातार उनकी तरफ देखें। अगली बार, आप इसे छूने की कोशिश कर सकते हैं और फिर आखिर में, इसे अपने हाथ में पकड़ सकते हैं। एक बार जब आप इन सभी स्टेज को पूरा कर लेंगे तो आपके लिए यह संभव है कि आप उन सभी चीजों से दूर हो जाएं जिनसे आप डरते हैं।

अपने अंदर के डर को कैसे दूर भगाएं? हम जिन चीजों में विश्वास रखते हैं। हमारे मानसिक अवधारणाएं, सोच विचार जिस तरह के होते हैं वहीं हमारी आदतों और कर्मो का निर्माण करते हैं, यानी अगर हम ये सोचे हमें इस चीज से डर लगता हैं तो संभवतः जरुर उससे आप भयभीत रहेंगे।

क्या मैं अपने जीवन की कमान दूसरों के हाथ में दे रहा हूँ?

ज्यादातर लोगों को किसी घटना से पहले डर लगता है, लेकिन स्थिति के बीच में कोई डर नहीं लगता। याद रखें कि डर आपकी इंद्रियों को बढ़ा देता है, जिससे आपके पास कुशलतापूर्वक और साहसपूर्वक प्रदर्शन करने की क्षमता आ जाती है।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें। और पढ़ें

परिचय – डर क्या है और यह कैसे पैदा होता है?

एक बात हम सब को समझनी होगी की इस दुनिया में ऐसी कोई दवा नहीं बनी है जिसे लेते ही आदमी का डर ख़त्म हो जाए और फिर कभी वो जिन्दगी में डरे ही ना.

अब जो आदमी सालों से अपने घर में दुबक कर बैठा है, जो कभी भी डर के पास ही नहीं गया या जिसने कभी भी कोई ऐसा काम करने की हिम्मत ही नहीं जुटाई, check here वो कैसे निर्भीक रह सकता है?

एक बार मुझे एक मीटिंग में प्रेजेंटेशन देना था, जिसके लिए मैं तैयार नहीं थी। मैं बहुत डरी हुई थी। मेरी हथेलियां पसीने से भीगी हुई थीं और मेरे दिल की धड़कन भी बहुत तेज हो रही थी। मैं ध्यान लगा कर कुछ पढ़ भी नहीं पा रही थी। मुझे पता था कि मैं डरी हुई हूँ, इतने सारे लोगों के सामने बोलने का डर मुझे सता रहा था। 

इसी भावना को डर कहते हैं. इसीलिए हम ऐसी चीज़ों से, लोगों से और मुसीबतों से बचना चाहते हैं, जिनसे हमें डर महसूस होता है.

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